Wednesday, February 5, 2025
Homeचंडीगढ़आर्य समाज सैक्टर 7-बी में  विशेष कार्यक्रम का हुआ शुभारम्भ

आर्य समाज सैक्टर 7-बी में  विशेष कार्यक्रम का हुआ शुभारम्भ

आर्य समाज सैक्टर 7-बी में  विशेष कार्यक्रम का हुआ शुभारम्भ
भजन गायक पं. भूपेंद्र आर्य ने उपस्थित लोगों को किया आत्म विभोर
चण्डीगढ़ : केन्द्रीय आर्य सभा के तत्वाधान में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का द्वितीय जन्म शताब्दी समारोह एवं आर्य समाज स्थापना के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में चण्डीगढ़, पंचकूला, मोहाली की सभी आर्य समाजों एवं आर्य शिक्षण संस्थाओं के सम्मिलित प्रयास से आर्य समाज सैक्टर 7-बी, चण्डीगढ़ विशेष कार्यक्रम का शुभारम्भ हो गया है। कार्यक्रम का शुभारंभ ऋग्वेद के 25  मंत्रों के द्वारा आहुति  देने से हुआ। वेद मन्त्रों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कथावाचक आचार्य अंकित प्रभाकर ने व्याख्या की कि ईश्वर से संपत्ति की कामना करते हुए प्रार्थना की गई है कि यह संपत्ति बंधन में न डाले। संपत्ति में उलझकर परिचितों, धर्म और कर्तव्यों को न भूलें। सांयकालीन कार्यक्रम के दौरान आचार्य ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि  प्रकृति के नियम हमारे शिक्षक हैं। वे हमें सिखातें हैं। फूल जैसे खिलना अर्थात मुस्कुराना सिखाता है। वह हमें खुशी देता है। हमें भी फूलों की तरह प्रसन्नचित रहना चाहिए और दूसरों को खुशी बाँटनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मन  को एकाग्र करके उसे वश में करना चाहिए। अक्सर बच्चे कहा करते हैं कि मन पढ़ाई में मन नहीं लगता।  इसका कारण अभ्यास की कमी है।  हमें मन से तेज होना चाहिए। मन को तेज करने के लिए उसे काम अवश्य दें। आचार्य ने यजुर्वेद में वर्णित शिवसंकल्पमस्तु  मंत्र पर विचार रखते हुए कहा कि हमारा मन शुभ विचारों वाला होना हो।  उन्होंने इस पर कई तरीके सुझाए।  उन्होंने कहा कि मन जागते हुए जितनी तेजी से कार्य करता है। उसी तेजी से रात को सोते हुए भी कार्य करता है। जो सोने से पूर्व मन मे विचार होता है, उसे स्वप्न में देखने का प्रयास करता है।  आचार्य अंकित प्रभाकर ने कहा कि अच्छा देखकर सोएं। मन की विशेषता उसका सक्रिय होना है। यह सारी इंद्रियों को संभालता है। मन एकम अर्थात अकेला है। यदि मन धीमा होता तो कार्य न कर पाते। मन को  करने के लिए अभ्यास और वैराग्य अति आवश्यक हैं। वैराग्य का अर्थ व्यर्थ की बातें और व्यर्थ कार्य से मन को हटाना है। इससे मन अपने आप  वश में हो जाएगा।  भजन गायक पं. भूपेंद्र आर्य ने भारत देश दुलारा प्यारा बन जाए स्वर्ग नगरिया, इस नर तन चोले को पाकर जीवन बर्बाद न कर आदि मधुर भजनों से उपस्थित जनों को आत्म विभोर कर दिया।  इस मौके पर काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments