चंडीगढ़, 29 नवंबर:
चिकित्सा क्षेत्र में यातायात समस्याओं को हल करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) की अहम भूमिका बढ़ती जा रही है, और अब ड्रोन का इस्तेमाल दवाइयों और अन्य चिकित्सा सामग्री को दूरदराज के इलाकों तक आसानी से पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। इस तकनीकी पहल के तहत, अब पीजीआई चंडीगढ़ अंग प्रत्यारोपण अभियान में भी ड्रोन का उपयोग करने की योजना बना रहा है, ताकि अंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक त्वरित और सुरक्षित तरीके से भेजा जा सके।
ग्रीन कॉरिडोर की आवश्यकता नहीं
पीजीआई के टेलीमेडिसिन विभाग के प्रमुख, डॉ. बीमन सैकिया ने बताया कि अंगों को भेजने के लिए ग्रीन कॉरिडोर की आवश्यकता नहीं होगी, जो वर्तमान में ट्रैफिक और पुलिस विभाग के साथ समन्वय की मांग करता है। अब ड्रोन के माध्यम से अंगों की ट्रांसपोर्टेशन प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी, समयबद्ध, और कम मानव संसाधन में किया जा सकेगा।
दूरदराज इलाकों में रक्त और चिकित्सा परीक्षण की सुविधा
डॉ. सैकिया ने आगे बताया कि जहां रक्त बैंक उपलब्ध नहीं हैं, वहां भी ड्रोन के जरिए रक्त की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। इसके अलावा, पीजीआई यह सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास कर रहा है कि जिन स्थानों पर चिकित्सा परीक्षण की सुविधाएं नहीं हैं, वहां से नमूने ड्रोन के माध्यम से लाकर रिपोर्ट तैयार की जा सके। इससे दूरदराज के इलाकों के लोग भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे।
जैम पोर्टल के जरिए ड्रोन सेवा की शुरुआत
कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय के ई-हेल्थ क्षेत्र के संयुक्त सचिव, मधुकर कुमार भगत ने बताया कि जैम पोर्टल के माध्यम से ड्रोन की सुविधा स्वास्थ्य सेवाओं में प्रदान करने की दिशा में कार्य शुरू किया गया है। इस पहल के तहत एम्स ऋषिकेश, बिलासपुर और गुवाहाटी में ड्रोन सेवा का संचालन हो रहा है, और पीजीआई भी इस सुविधा का लाभ उठा सकता है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में 5 किलो तक का वजन उठाने वाले और 100 किलोमीटर तक के दायरे में काम करने वाले ड्रोन उपलब्ध हैं, और इनकी क्षमता तथा दायरे को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक लोगों को इस सुविधा का लाभ मिल सके।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का भविष्य में योगदान
सम्मेलन के दौरान यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुनील श्राफ ने “बुद्धिमान चिकित्सा और कैसे एआई स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार दे रहा है” विषय पर व्याख्यान दिया। वहीं, डॉक्टर आलोक मोदी ने स्वास्थ्य सेवाओं में एआई से उत्पन्न नैतिक आयामों और चुनौतियों पर चर्चा की। डॉक्टर किम आर ने नेत्र विज्ञान में एआई द्वारा मिल रही सफलता के बारे में बताया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पीजीआई के पूर्व निदेशक डॉ. केके तलवार ने की।
इस प्रकार, पीजीआई चंडीगढ़ तकनीक के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, जिससे न केवल अंग प्रत्यारोपण प्रक्रिया को गति मिलेगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।