सार
बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। इस हमले का मास्टमाइंड आतंकी सैफुल्लाह खालिद है। वह हाफिज सईद का बेहद करीबी है। पाकिस्तानी सेना भी खालिद की मुट्ठी में रहती है। आइए जानते कौन है खालिद…
विस्तार
पहलगाम की बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। टीआरएफ, आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन है। इस हमले के मास्टरमाइंड का नाम भी सामने आ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड आतंकी सैफुल्लाह खालिद है। जम्मू-कश्मीर में लश्कर और टीआरएफ की आतंकी गतिविधियों को वही अंजाम दे रहा है। बताया जा रहा है सैफुल्लाह खालिद आतंकी हाफिज सईद का बेहद करीबी है। पाकिस्तानी सेना भी खालिद की मुट्ठी में रहती है। आइए जानते हैं आतंकी सैफुल्लाह खालिद के बारे में सब कुछ…
सैफुल्लाह खालिद की पाकिस्तानी सेना से भी काफी नजदीकी है। पाकिस्तानी सेना पर उसका इतना प्रभाव है कि सेना उसका फूलों से स्वागत करती है। वह सेना के अधिकारियों की पूरी मदद करता है। साथ ही पाकिस्तानी सेना के जवानों को भारत के खिलाफ भड़काता है। पहलगाम आतंकी हमले से दो महीने पहले सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था। यहां उसे पाकिस्तानी सेना के कर्नल जाहिद जरीन खट्टक ने जिहादी भाषण देने के लिए वहां बुलाया था। वहां उसने पाकिस्तानी सेना को भारत के खिलाफ भड़काया।
दो फरवरी 2026 तक कश्मीर पर कब्जे की कही थी बात
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की बैठक में उसने कहा था मैं वादा करता हूं कि आज 2 फरवरी 2025 है। हम दो फरवरी 2026 तक कश्मीर पर कब्जा करने की पूरी कोशिश करेंगे। आने वाले दिनों में हमारे मुजाहिदीन हमले तेज होंगे। दो फरवरी 2026 तक कश्मीर आजाद हो जाएगा। उसके भाषण को सुनने के लिए बड़ी संख्या में हथियारबंद आतंकी शामिल हुए थे।
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले साल एबटाबाद के जंगल में हुए आतंकी कैंप में सैफुल्लाह खालिद मौजूद था। इस कैंप में सैकड़ों पाकिस्तानी लड़कों ने हिस्सा लिया था। इसका आयोजन लश्कर-ए-तैयबा की राजनीतिक शाखा पीएमएमएल और एसएमएल ने किया था। इस कैंप से आतंकी हमलों के लिए लड़कों को चुना गया था। इन लड़कों को टारगेट किलिंग के लिए ट्रेनिंग दी गई थी। यहां सैफुल्लाह ने भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर लड़कों को भड़काया था। इन लड़कों की पाकिस्तानी सेना की मदद से सीमा पार घुसपैठ करने की बात भी सामने आई थी।
कब सामने आया टीआरएफ?
टीआरएफ की कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू होती है। कहा जाता है कि इस हमले से पहले ही इस आतंकी संगठन ने घाटी के अंदर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। धीरे-धीरे यह संगठन अपनी ताकत को बढ़ाता चला गया और इसे पाकिस्तान समर्थित कुछ आतंकी संगठनों के साथ खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी साथ मिला। पांच अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया।