चंडीगढ़, 21 जनवरी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी और तीन कैबिनेट मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए, पंजाब वन एवं वन्यजीव संरक्षण विभाग ने सुखना वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी के इको-सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) के 3 किलोमीटर दायरे को लेकर पुराने प्रस्ताव को दोबारा मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेज दिया है। यह आरोप भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और नयागांव घर बचाओ मंच के चेयरमैन विनीत जोशी ने लगाया।
जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो मोहाली जिले के नयागांव, कांसल, करोरां और नाडा में रहने वाले करीब दो लाख गरीब और निम्न मध्यम वर्गीय लोगों के घरों और प्रतिष्ठानों पर संकट के बादल मंडराएंगे। इन क्षेत्रों में बने मकान, दुकानें, अस्पताल, धार्मिक स्थल, और होटल तोड़े जा सकते हैं।
जोशी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पंजाब सरकार को नयागांव के निवासियों की आपत्तियां सुनने और उन पर उचित निर्णय लेने के निर्देश दिए थे। इसके बाद 4 दिसंबर 2024 को तीन मंत्रियों की समिति—लाल चंद कतरुचक, डॉ. रवजोत सिंह और हरदीप सिंह मुंडियां—ने नयागांव के निवासियों और संगठनों की सुनवाई कर सौ से अधिक लिखित आपत्तियां प्राप्त कीं। लेकिन इसके बाद, आपत्तियों पर विचार करने के लिए कोई बैठक नहीं बुलाई गई, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बिना किसी चर्चा के पुराने प्रस्ताव को आगे बढ़ाने का एकतरफा निर्णय लिया। यह कार्रवाई समिति के गठन और जन सुनवाई की प्रक्रिया को मात्र एक दिखावा बना देती है।
जोशी ने मांग की है कि सरकार तीन मंत्रियों की समिति द्वारा प्राप्त आपत्तियों पर निर्णय लेने के लिए संबंधित विभागों के मंत्रियों और अधिकारियों की संयुक्त बैठक तत्काल बुलाए।
जोशी के साथ इस मुद्दे को उठाने वालों में समाजसेवी और पूर्व पार्षद दीप ढिल्लों, भाजपा मोहाली जिला सचिव भूपिंदर भूपी, ब्रह्मकुमारी संस्था के अध्यक्ष ज्ञान चंद भंडारी, मिथलांचल छठ पूजा समिति के महामंत्री कामेश्वर साह, बिहार सभा के प्रधान भरत ठाकुर, क्षत्रिय राजपूत सभा नयागांव के चेयरमैन अमरेश सिंह राठौड़, मजदूर सेना के महामंत्री मदन मंडल, और गऊ सेवा प्रमुख सुशील रोहिल्ला शामिल थे।