अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि नशा मुक्ति को लेकर जो भी सरकारी योजनाएं बनाई गई हैं, वे केवल कागजों तक ही सीमित रह गई हैं और उनका नाममात्र पर खानापूर्ति की जा रही है। इसके कारण प्रदेश में नशे की आपूर्ति कम होने के बजाय, पिछले साल की तुलना में 18 प्रतिशत बढ़ी है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
नशे के शिकार युवा मौत के शिकार हो रहे हैं, ऐसे में सरकार को नशा मुक्ति की दिशा में सख्त कदम उठाने चाहिए। इस अभियान में पुलिस के साथ-साथ समाज के हर व्यक्ति को सहयोग करना चाहिए, क्योंकि समाज के सहयोग से ही नशे को समाप्त किया जा सकता है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में नशे के मामलों के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे काफी भयावह हैं। समाज के हर वर्ग को इस पर ध्यान देना होगा। प्रदेश के 22 जिलों में से 16 जिलों में स्थिति गंभीर है, और 900 गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हरियाणा ऐसा राज्य बन चुका है, जहां हर प्रकार का नशा आसानी से उपलब्ध हो जाता है। प्रदेश में 18 से 35 साल के युवा इस चपेट में ज्यादा हैं।
हरियाणा के साथ-साथ इसके सीमावर्ती राज्य पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के जिले भी नशे के प्रभाव में हैं। सिरसा और फतेहाबाद जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसके अलावा हिसार, रेवाड़ी, यमुनानगर, अंबाला, जींद, फरीदाबाद, करनाल, कैथल, रोहतक, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, पलवल और नूहं जैसे जिले भी नशे की गिरफ्त में हैं। हर साल औसतन 50 नशेड़ियों की मौत होती है। नशे से होने वाली मौतों के आंकड़े सरकार ने हमेशा छुपाए हैं, जबकि धरातल पर स्थिति कुछ और ही दर्शाती है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से नशा मुक्ति को लेकर जो योजनाएं बनाई गई हैं, वे केवल फाइलों में ही सीमित हैं और उनका सही तरीके से क्रियान्वयन दिखाई नहीं देता। जब तक नशा मुक्ति अभियान केवल दिखावा रहेगा, तब तक कोई सफलता नहीं मिल सकती।
प्रदेश भर में नारकोटिक्स सेल में स्टाफ की कमी है, ऐसे में नशा तस्करों पर कैसे अंकुश लगाया जा सकता है? इस अभियान में जब तक जन सहयोग नहीं लिया जाएगा, सफलता नहीं मिल सकती। नशे पर रोक लगाना केवल पुलिस का काम नहीं है, इसमें सभी को सहयोग देना होगा।
कुमारी सैलजा ने यह भी कहा कि नशा ही सभी प्रकार के अपराधों की जननी है। अगर नशे पर रोक लगी तो अपराध भी अपने आप कम हो जाएंगे। सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठाना चाहिए।