अमृतसर, 14 जनवरी :
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने मंगलवार को गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में नैतिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के लिए अत्याधुनिक सुरजीत पातर केंद्र स्थापित करने की घोषणा की। यह केंद्र नवीनतम तकनीक से सुसज्जित होगा और विश्वविद्यालय को इस नेक कार्य के लिए पूरी तरह से समर्थन देने का आश्वासन दिया गया है।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान आज यहां प्रसिद्ध लेखक डॉ. सुरजीत पातर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित एक समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने घोषणा की कि उभरते लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए एक संस्थागत पुरस्कार की शुरुआत की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जो बात कीट्स अंग्रेजी भाषा के लिए थे, वही बात डॉ. सुरजीत पातर पंजाबी भाषा के लिए थे।” उन्होंने पंजाब में पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और राज्य सरकार की योजनाओं को साझा किया।
पंजाबी भाषा के प्रचार में डॉ. सुरजीत पातर का योगदान
मुख्यमंत्री ने डॉ. सुरजीत पातर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “उनका निधन पंजाबी साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे पंजाबी साहित्य के महानतम लेखकों में से एक थे और उनके साथ उनके निजी संबंध बहुत मजबूत थे।” उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. सुरजीत पातर ने अपनी कलम के माध्यम से समाज में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर अंग्रेजी में कीट्स हैं, तो पंजाबी में डॉ. सुरजीत पातर हैं।” उन्होंने कहा कि डॉ. पातर का साहित्यिक योगदान हमेशा उभरते लेखकों को प्रेरित करता रहेगा।
सरकार की योजनाएं
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने राज्य सरकार द्वारा पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला को वित्तीय संकट से उबारने के लिए 350 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि आवंटित की है।
उन्होंने कहा, “राज्य सरकार पंजाबी भाषा के प्रचार के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और इसे बढ़ावा देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।” मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों से पंजाबी को अच्छी तरह बोलने और लिखने की अपील की, ताकि वे अपनी गौरवमयी विरासत से जुड़े रहें।
पंजाब का इतिहास और माघी पर्व
मुख्यमंत्री ने पंजाब के इतिहास को याद करते हुए कहा कि राज्य महान शहीदों की कुर्बानियों से भरा पड़ा है, जिन्होंने मानवता के लिए बलिदान दिया। उन्होंने युवाओं से इन शहीदों से प्रेरणा लेने और देश की सेवा में योगदान देने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने माघी के पवित्र दिन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह दिन हर साल 40 मुक्तों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने खिदराना की लड़ाई में अपनी जान दी थी। उन्होंने बताया कि श्री मुक्तसर साहिब में इस दिन लाखों लोग गुरुद्वारा ‘श्री टूटी-गंडी साहिब’ में माथा टेकते हैं।