चंडीगढ़, 2 दिसंबर – अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर पर्यटक विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृतियों के रंग-बिरंगे नृत्य प्रदर्शन देखकर हैरान हैं। यह महोत्सव जहां एक ओर शिल्पकारों की अद्भुत शिल्पकला से सजा हुआ है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न राज्यों के कलाकार अपनी पारंपरिक नृत्य कला से इस महोत्सव की शोभा बढ़ा रहे हैं।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NZCC) द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति को इस महोत्सव के माध्यम से प्रस्तुत किया जाए। इन कलाकारों ने अपने-अपने राज्यों की वेशभूषा में अपनी पारंपरिक कला को जीवित रखते हुए पर्यटकों को नृत्य का आनंद दिया। इसके अलावा, पर्यटक भी ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर इन नृत्य प्रदर्शन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए नजर आ रहे हैं।
कला के इस संगम के बीच, कलाकार अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि आज के आधुनिक समय में भी उन्होंने अपनी कला को जीवित रखा है और इसे विदेशों तक पहुंचाया है। इनकी कला ने विदेशी धरती पर भी अपना नाम रोशन किया है। महोत्सव में उत्तराखंड के छपेली, पंजाब के गतका, हिमाचल प्रदेश के गद्दी नाटी, राजस्थान के बहरुपिए, पंजाब के बाजीगर, राजस्थान के लहंगा/मंगनीयार और दिल्ली के भवई नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी जा रही है।
यह कलाकार 15 दिसंबर तक अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में अपने-अपने प्रदेशों की लोक कला को प्रस्तुत करेंगे और लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़ने का प्रयास करेंगे। इस महोत्सव में देश के हर राज्य से आए कलाकार अपनी लोक कला का प्रदर्शन करने के लिए उत्सुक रहते हैं और पर्यटक भी फिर से ब्रह्मसरोवर के तट पर भारतीय लोक संस्कृति का अनुभव करने के लिए उत्साहित हैं।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र की ओर से विभिन्न राज्यों के कलाकार इस महोत्सव में अपनी लोक कला का प्रदर्शन करते हुए महोत्सव को और भी खास बना रहे हैं।