सार
सचिन तो सिर्फ मोहरा है… वारदात के पीछे की सच्चाई कुछ और है। मां ने बड़ा बयान दिया है। साथ ही सचिन को लेकर कई खुलासे किए हैं। मां ने कहा कि हिमानी को पैसे की परेशानी नहीं थी। वो नौकरी और किराये से खर्च चलाती थी।
कांग्रेस कार्यकर्ता हिमानी हत्याकांड का पुलिस ने खुलासा करते हुए उन्हीं के दोस्त सचिन को हत्यारोपी बताया है। हत्या के पीछे रुपये के लेनदेन की बात कही है, लेकिन पुलिस की यह थ्योरी किसी के गले नहीं उतर रही है।
हालांकि, जिस दोस्त पर हत्या का आरोप लगा है, उसके खुद के हालात अच्छे नहीं थे और मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाकर गुजारा करता था। कांग्रेस कार्यकर्ता होने के चलते हिमानी की शहर के करोड़पति लोगों से अच्छी जान-पहचान थी। कहीं, ऐसा तो नहीं कि सचिन को इस घटना में केवल मोहरे के रूप में प्रयोग किया गया हो। कुछ इसी तरह की बात हिमानी के परिजन कह रहे हैं।

‘सचिन की कोई हैसियत नहीं है…’
हिमानी की मां सविता ने बताया कि पुलिस ने हत्या की जिस तरह कहानी बयां की है, वह उनके गले से नहीं उतर रही है। सचिन उनकी बेटी का केवल जान पहचान का हो सकता है। ऐसे में सचिन की कोई हैसियत नहीं है और वह खुद मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाकर परिवार का लालन-पालन कर रहा है।
मीडिया में सुना है कि उसके बच्चों की कई माह की फीस तक नहीं भरी गई है। हिमानी ऐसे व्यक्ति से दोस्ती करके उससे रुपये मांगती, यह बात समझ से परे हैं। शहर के कई ऐसे नेता और करोड़पति लोग हैं, जो हिमानी को बेटी मानते थे। यदि उसे रुपये चाहिए होते तो वह उनसे भी कह सकती थी।

‘सचिन को किसी ने मोहरे की तरह प्रयोग किया’
यदि शहर के लोगों से ही रुपये लेने होते तो किसी भी पितातुल्य करोड़पति व्यक्ति से मांग सकती थी, लेकिन सचिन से रुपये मांगना अपने आपमें सवाल है। कहीं, ऐसा तो नहीं कि सचिन को किसी ने मोहरे की तरह प्रयोग किया हो और घटना के पीछे कोई और हो। पुलिस मामले की तह तक पहुंचकर जांच करे।

अगले दिन सुबह शव देखने सांपला पहुंचा था सचिन
वहीं, पुलिस सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस कार्यकर्ता हिमानी की 28 फरवरी को हत्या करके सचिन शव सांपला में फेंकने के बाद रात करीब 1 बजे अपने घर के लिए रवाना हुआ था। रात में घर पर रुकने के बाद वह एक मार्च की सुबह एक बार फिर सांपला बस स्टैंड पर शव देखने पहुंचा। करीब आधा घंटे तक वहां पर पुलिस और भीड़ को देखने के बाद हत्यारोपी बस में सवार होकर दिल्ली भाग गया था।
एक मार्च को सचिन दिल्ली से गुरुग्राम के सुभाष चौक पहुंचा और वहां एक गेस्ट हाउस में रात को ठहरा था। 2 मार्च को वह गुरुग्राम से अपनी बहन के घर नजफगढ़ के लिए निकला, लेकिन रास्ते में बहन के फंसने का ख्याल आने पर रास्ते से ही लौट आया और मुंडका से दूसरी जगह भागने का प्लान बनाया, मगर तब तक दिल्ली एसटीएफ उसके मोबाइल की लोकेशन से उस तक पहुंच चुकी थी।
हत्यारोपी की करतूत पुलिस को बताना चाहती थी हिमानी
पुलिस सूत्रों ने बताया कि हिमानी से विवाद के बाद उसने चाकू के बल पर उसके हाथ बांध दिए थे। इस दौरान दोनों में काफी विवाद हुआ था और हिमनी सचिन की करतूत पुलिस को बताकर उसे सबक सिखाने की बात कह रही थी, जबकि वह लगातार उसे डरा-धमकाकर चुप रहने के लिए दबाव बना रहा था।
सचिन ने बताई पूरी कहानी
सचिन 28 फरवरी को हिमानी के घर पर आया था। हिमानी और सचिन में दोपहर में रुपये के लेनदेन को लेकर विवाद हो गया। दिन में खूब गहमागहमी के बीच नाराज होकर सचिन वहां से चला गया था, हालांकि वह रोहतक में ही रहा। सचिन शाम करीब 4 बजे फिर से हिमानी के विजय नगर स्थित घर पहुंचा और वहां पर कुछ देर बात होने के बाद फिर दोनों के बीच विवाद हो गया। मामला इतना तूल पकड़ गया कि दोनों के बीच हाथापाई हो गई।
हिमानी का थप्पड़ सचिन को लगा तो वह तमतमा गया। इस बात से खफा होकर उसने हिमानी की चार्जर के तार से गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को बेड पर रजाई से ढंक दिया। इसके बाद वह बचने के लिए तरकीब ढूढ़ने लगा। इस दौरान उसकी नजर सूटकेस पर पड़ी। इसमें कुछ कपड़े रखे थे। सूटकेस खाली कर उसमें हिमानी का शव ठूंस दिया। हालांकि, इससे हाथ-पैर बुरी तरह मुड़ गए थे।

28 फरवरी को की थी हिमानी की हत्या
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कृष्ण कुमार राव ने सोमवार को प्रेसवार्ता में बताया कि 28 फरवरी को विजय नगर स्थित हिमानी नरवाल के घर पर दोनों के बीच पैसों को लेकर विवाद ज्यादा बढ़ गया।
शाम करीब 5 बजे सचिन ने पहले हिमानी के चुनरी से हाथ बांधे और फिर मोबाइल चार्ज करने वाले तार से उसका गला घोंट दिया। हत्यारोपी से खुद का बचाव करने के लिए हिमानी ने काफी प्रयास किया था। इसी जद्दोजहद में सचिन के हाथों पर हिमानी ने नाखूनों से नोचते हुए बचने की कोशिश की थी।
