31 जनवरी 2025:
हरियाणा सरकार के परिवहन मंत्री अनिल विज ने एक बार फिर से अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अनिल विज का आरोप है कि सरकार उनके आदेशों की अनुपालना नहीं कर रही है, जिससे उनके बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।
विज ने हाल ही में कहा था कि अगर उनकी बातों को नजरअंदाज किया गया, तो वह किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तरह आमरण अनशन भी कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब वह जनता दरबार और ग्रेवियांस कमेटी की बैठकों में नहीं जाएंगे। आज उन्होंने मुख्यमंत्री सैनी पर हमला बोलते हुए कहा कि जब से वह मुख्यमंत्री बने हैं, तब से “उड़न खटोले” पर सवार हैं और जमीन पर उतरकर जनता के दुख दर्द को देखें।
विज की नाराजगी की वजह यह है कि वह कुछ अधिकारियों को बदलने की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही थी। हालांकि, अब सरकार ने अंबाला के उपायुक्त को बदल दिया है, जो विज की एक प्रमुख मांग थी।
अनिल विज और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बीच तनाव पहले भी देखा गया है। जब मनोहर लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, तब भी दोनों के बीच दखलअंदाजी को लेकर खटपट चलती रही थी। मार्च 2024 में जब मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने की घोषणा की और कार्यकारी जिम्मेदारी नायब सिंह सैनी को सौंप दी, तो अनिल विज नाराज हो गए थे और बैठक के बीच से उठकर चले गए थे। इसके बाद नायब सैनी उन्हें मनाने के लिए उनके घर गए थे।
इसके अलावा, जब नायब सिंह सैनी पहली बार मुख्यमंत्री बने, तो अनिल विज को मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया गया था, जिससे उनकी नाराजगी सामने आई थी। विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान भी अनिल विज ने मुख्यमंत्री पद को लेकर कटाक्ष किया और खुद इस पद की दावेदारी जताई थी। उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी जाती है, तो वह इसे बखूबी निभाएंगे, क्योंकि वह सात बार के विधायक हैं।
इसके अलावा, अनिल विज और मनोहर लाल खट्टर के बीच भी खटपट की खबरें 2019 से 2024 तक आती रही थीं। 2020 में खट्टर ने विज से गृहमंत्री होते हुए भी सीआईडी का चार्ज वापस ले लिया था।
गुटबाजी के कारण अमित शाह को बनाया गया पर्यवेक्षक
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद, विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। उनके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी पर्यवेक्षक थे। यह कदम इसलिए उठाया गया था क्योंकि अनिल विज और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह दोनों ही मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। पार्टी में गुटबाजी से बचने के लिए अमित शाह को यह जिम्मेदारी दी गई थी।
अंबाला के डीसी का तबादला
हालांकि, अब सरकार ने अनिल विज की एक प्रमुख मांग पूरी करते हुए अंबाला के उपायुक्त को बदल दिया है। विज अब अन्य पुलिस अधिकारियों के तबादले की भी मांग कर रहे हैं