Wednesday, January 22, 2025
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डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे प्रदेश के सरकारी अस्पताल: कुमारी सैलजा

चंडीगढ़, 20 जनवरी:
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर नहीं है। एक ओर जहां सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी बनी हुई है, वहीं मेडिकल कॉलेजों में भी स्टाफ की तैनाती के नियमों के मुताबिक नहीं की जा रही है। प्रोफेसर और डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है, जबकि मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के भविष्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।

सैलजा ने कहा कि प्रदेश में जिन जिलों में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहां पर कैंसर जांच की पूरी व्यवस्था के साथ-साथ कैंसर विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की जाए, ताकि मरीजों को इलाज के लिए बाहर न जाना पड़े। इस संबंध में सरकार को भेजे गए पत्रों पर भी कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं।

मीडिया से बात करते हुए कुमारी सैलजा ने कहा कि जब अस्पतालों में डॉक्टर ही नहीं होंगे, तो मरीजों को स्वास्थ्य लाभ कैसे मिलेगा? मरीजों को निजी डॉक्टरों के पास जाने के लिए छोड़ना उचित नहीं है। वहीं, सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ मेडिकल कॉलेजों की स्थिति भी बेहद खराब है। प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई रोहतक में लगभग 50 प्रतिशत तक पद खाली पड़े हैं, जबकि यहां मरीजों का दबाव सबसे अधिक है। डॉक्टरों और स्टाफ की कमी से जहां मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं तैनात कर्मचारियों पर काम का दबाव भी बढ़ गया है।

सैलजा ने कहा कि बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज खानपुर कलां, कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल, नल्हड़ मेडिकल कॉलेज और फरीदाबाद के छायसां मेडिकल कॉलेज में भी स्टाफ की भारी कमी है। यह मुद्दा विधानसभा में कई बार उठाया गया, लेकिन डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ की कमी दूर नहीं हो पाई। इस समय प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में लगभग 1500 डॉक्टरों की कमी है।

सांसद सैलजा ने आगे कहा कि अधिकतर सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है और अधिकांश पद अभी भी खाली पड़े हुए हैं। सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत भी कोई डॉक्टर काम करने को तैयार नहीं है। इसके अलावा, प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन कहीं भी सरकारी अस्पताल में कैंसर रोग विशेषज्ञ नियुक्त नहीं हैं। सिरसा और फतेहाबाद जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां कैंसर जांच की सुविधा तक नहीं है और रोगियों को जांच के लिए दूसरे जिलों में भेजा जाता है। इस समय सिरसा और फतेहाबाद जिलों में कैंसर रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति अत्यंत आवश्यक है।

कुमारी सैलजा ने सरकार से मांग की कि सिरसा में कैंसर उपचार संस्थान स्थापित किया जाए। केवल घोषणाओं से कैंसर रोगियों का इलाज नहीं हो सकता। सरकार को मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने के बजाय उनके उपचार की व्यवस्था जल्दी से जल्दी करनी चाहिए।

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