बठिंडा/09 दिसंबर:
शिरोमणि अकाली दल ने आज आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान को सरदार सुखबीर सिंह बादल पर हुए जानलेवा हमले के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। पार्टी ने आरोप लगाया कि अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने हमलावर और आतंकवादी नारायण सिंह चैड़ा को संरक्षण दिया।
यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अकाली दल के प्रवक्ता सरदार परमबंस सिंह रोमाणा ने कहा कि अमृतसर पुलिस ने जानबूझकर अपराधी के खिलाफ एक कमजोर केस दर्ज किया, जिसमें यह दावा किया गया कि नारायण चैड़ा ‘संगत’ का सदस्य था और उसने सरदार सुखबीर सिंह बादल पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन पुलिस ने इसे मामूली हाथापाई का मामला बना दिया, जिसमें हवा में गोली चलाने का आरोप लगाया गया।
सरदार रोमाणा ने कहा, “जिस तरह से आई.एस.आई एजेंट नारायण सिंह चैड़ा को अमृतसर पुलिस द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है, उससे यह स्पष्ट होता है कि वह श्री गुरप्रीत भुल्लर का ‘कैट’ (अनौपचारिक पुलिस ऑपरेटर) है।” उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस ने छह घंटे की देरी के बाद मामला दर्ज किया और मामले में फर्जी जानकारी दी, जैसे कि हमले को नाकाम करने वाले सरदार सुखबीर बादल के सुरक्षा अधिकारी जसबीर सिंह के बयान को नज़रअंदाज कर दिया।
सरदार रोमाणा ने यह भी आरोप लगाया कि अमृतसर के पुलिस कमिश्नर ने घटना के बाद यह दावा किया कि यह हमला सरदार सुखबीर बादल द्वारा सहानुभूति हासिल करने के लिए किया गया था। उनका कहना था कि पुलिस ने हमलावर को श्री दरबार साहिब परिसर के नजदीक जाने दिया, जिससे यह साबित होता है कि पूरी घटना के पीछे साजिश थी।
उन्होंने अमृतसर पुलिस कमिशनर, एसपी हरपाल रंधावा और अमृतसर के ई डिवीजन थाने के एसएसओ के मोबाइल फोन जब्त करने की मांग की, ताकि यह पता चल सके कि पुलिस ने अपराधी को वीआईपी ट्रीटमेंट क्यों दिया और किस तरह से यह हमला आम आदमी पार्टी के उच्च स्तर से प्रेरित था।
सरदार रोमाणा ने एफआईआर को खारिज करते हुए कहा, “चूंकि पंजाब पुलिस सरदार बादल के खिलाफ हमले में सीधे तौर पर शामिल है, इसलिए वह इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। हम इस मामले की सीबीआई या एनआईए जांच की मांग करते हैं, या फिर उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि पार्टी राज्यपाल से संपर्क करेगी और उन्हें बताएगी कि सरदार बादल की सुरक्षा में कैसे खामियां छोड़ी गईं और हमलावर चैड़ा को पकड़ने के लिए कोई भी प्रयास क्यों नहीं किया गया, जबकि वह श्री दरबार साहिब परिसर की रेकी कर रहा था।