लोकगीतों से गूंज उठा मंगलवार को कलाग्राम
-हिमाचल प्रदेश के गायक काकू ठाकुर और गीता भारद्वाज ने बांधा समां
चंडीगढ़, 3 दिसंबर 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शहर दौरे से पहले चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा लगाए गए यातायात प्रतिबंधों से बेपरवाह मेला प्रेमियों की हजारों की संख्या में भीड़ मंगलवार को शिल्प मेले में उमड़ पड़ी और विभिन्न क्षेत्रों की मनमोहक लोकगीतों का आनंद लिया।
इस उच्चस्तरीय कार्यक्रम के नियमित सुबह और शाम के सत्रों में, मंच पर मुरली राजस्थानी द्वारा राजस्थानी लोकगीत प्रस्तुत किए गए, जिसके बाद लोकनृत्यों में झूमर (पंजाब), सिरमौरी नाटी (हिमाचल प्रदेश), बधाई (मध्य प्रदेश), राखी पाड़ा (अरुणाचल), यूसुफ खान द्वारा पंथी भापंग बदन, जाबरो (लद्दाख), बाल्टी (लद्दाख), कालबेलिया (राजस्थान) और धमाली (जम्मू-कश्मीर) शामिल थे। दिन के मुख्य कलाकार सुखी बरार और नक्कल गोनी खान थे, जिन्होंने मंच पर धूम मचा दी। ‘कच्ची घोड़ी (राजस्थान), बेहुरूपिया, नचार और बाजीगर (पंजाब), नगाड़ा और बीन जोगी (हर) आज के नियमित मैदानी प्रदर्शन थे।
बच्चों के लिए दैनिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में मंगलवार को 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। चंडीगढ़ ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित “शिल्प मेले की झलकियाँ” विषय पर ऑन-द-स्पॉट फोटोग्राफी प्रतियोगिता में भी प्रतिभागियों ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी।
शाम के मुख्य गायक हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध गायक काकू राम ठाकुर और पहाड़ी लोक गायन की रानी गीता भारद्वाज थे। उन्होंने पहाड़ों से दिव्य लोक संगीत प्रस्तुत किया।
ठाकुर द्वारा गाए गए कुछ लोकगीतों में “चित्ता तेरा चोला काला डोरा…”, “इंहां वादियां यो तुड़का लाना ओ ठेकेदारनियां…”, “चंबा उआर के नदिया पार…” शामिल हैं, जिन्हें संगीत प्रेमियों ने भी उत्साहपूर्वक गाया। भारद्वाज ने अपने लोकप्रिय गाने गाकर संगीतमय शाम में और अधिक रंग भर दिया। इनमें “माये नी मेरिये जम्मुअन दे रहे…”, “उदिया कलेया कागा…”, “धोबन पाणिए जो चली ई…” और कई अन्य गाने शामिल थे, जिनकी प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी।