भारत और कनाडा के बीच जारी राजनयिक तनाव का सबसे ज्यादा प्रभाव भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से पंजाबियों पर पड़ रहा है। इस तनाव के कारण कनाडा ने भारत में अपने राजनयिक स्टाफ की संख्या घटा दी है, जिसके कारण भारतीय नागरिकों के लिए वीजा प्रक्रिया में अत्यधिक देरी हो रही है।
कनाडा को लंबे समय से भारतीय छात्रों और कामकाजी व्यक्तियों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य माना जाता है, खासकर पंजाब के लोगों के लिए। लेकिन अब वीजा आवेदन की लंबी प्रतीक्षा ने कई लोगों के सपनों को अधर में डाल दिया है। लगभग 25 लाख आवेदन अभी भी पेंडिंग हैं, जिनमें से 11 लाख मामलों में वीजा प्रक्रिया में देरी हो रही है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो शादी-ब्याह या व्यापार के सिलसिले में कनाडा जाना चाहते थे, लेकिन वीजा न मिलने के कारण उनका सिस्टम प्रभावित हो गया है।
इसके अतिरिक्त, परमानेंट रेजिडेंसी (PR) के लिए भी बड़ी संख्या में लोग इंतजार कर रहे हैं। इस समय 3,05,200 PR आवेदन बैकलॉग में हैं, जिनमें अधिकांश पंजाबी समुदाय से जुड़े हुए हैं। वहीं, अस्थायी रेजिडेंसी (Temporary Residency) के लिए 7,53,700 आवेदन लंबित हैं।
इस पूरे मामले का सबसे बड़ा असर भारतीय छात्रों पर पड़ा है, क्योंकि वीजा प्रोसेसिंग टाइम बढ़ने के कारण छात्रों के लिए अपनी पढ़ाई समय पर शुरू करना एक चुनौती बन गया है।
यह स्थिति पंजाबियों के लिए खासतौर पर चिंताजनक बन गई है, क्योंकि कनाडा उनके लिए रोजगार, शिक्षा और बेहतर जीवन के अवसरों का प्रमुख गंतव्य रहा है।