Friday, April 18, 2025
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137 नए न्यायिक अधिकारियों ने चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी से अपनी प्रशिक्षण पूर्ण किया

137 नए न्यायिक अधिकारियों ने चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी से अपनी प्रशिक्षण पूर्ण किया

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और केंद्रीय कानून मंत्री ने समापन समारोह में विशेष रूप से भाग लिया

चंडीगढ़, 9 अप्रैल

चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी में आज पीसीएस (जेबी) अधिकारियों (बैच 2024-25) के लिए इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोह यादगार रूप से संपन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि पंजाब राज्य के इस बैच से संबंधित 137 न्यायिक अधिकारियों ने अपना एक वर्ष का आवासीय इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।

समापन समारोह में भारत के सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश श्री राजेश बिंदल मुख्य अतिथि के रूप में तथा केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।

इस आयोजन में माननीय न्यायमूर्ति श्री शील नागू, मुख्य न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट एवं संरक्षक प्रमुख, चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी; माननीय श्री न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा, अध्यक्ष, गवर्नर्स बोर्ड, चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी; माननीय न्यायमूर्ति श्री गुरविंदर सिंह गिल, माननीय न्यायमूर्ति श्री अनिल क्षेत्रपाल, माननीय न्यायमूर्ति श्री महाबीर सिंह सिंधू और माननीय न्यायमूर्ति श्री विनोद भारद्वाज, गवर्नर्स बोर्ड के सदस्य विशेष रूप से उपस्थित थे।

समारोह में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अन्य माननीय न्यायाधीशों ने भी भाग लिया और अपनी उपस्थिति से समारोह की शोभा बढ़ाई तथा न्यायिक सेवा में प्रवेश कर रहे प्रशिक्षुओं को आशीर्वाद दिया।

यह भी उल्लेखनीय है कि एक वर्ष का इंडक्शन प्रशिक्षण पूरा करने वाला यह पीसीएस (जेबी) अधिकारियों का 13वां बैच है। इस बैच में कुल 150 प्रशिक्षु अधिकारी शामिल थे, जिनमें 107 महिला और 43 पुरुष अधिकारी थे और यह अब तक का सबसे बड़ा बैच था। इनमें से 137 अधिकारियों – 96 महिला और 41 पुरुष – ने अपनी ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूरी की और आज उन्हें कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्रदान किए गए। शेष अधिकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम के अगले चरण में शामिल हैं और आवश्यक प्रशिक्षण अवधि सफलतापूर्वक पूरी होने पर उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।

नए नियुक्त पीसीएस (न्यायिक शाखा) अधिकारियों ने चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी में एक वर्ष का व्यापक इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा किया। यह 52 सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिकारियों को आवश्यक न्यायिक ज्ञान, व्यवहारिक कौशल और संस्थागत अनुभव से लैस करने के लिए तैयार किया गया था।

इस कार्यक्रम में 26 सप्ताह की संस्थागत ट्रेनिंग, पुलिस थानों और नशा मुक्ति केंद्रों जैसे प्रमुख संस्थानों का एक सप्ताह का क्षेत्रीय दौरा, और अंतर-एजेंसी समन्वय को बढ़ाने के लिए मधुबन में तीन सप्ताह की पुलिस ट्रेनिंग शामिल थी। अधिकारियों ने क्षेत्रीय कानूनी और प्रशासनिक प्रणालियों की गहरी समझ के लिए संबंधित पोस्टिंग पर 16 सप्ताह का कोर्ट अटैचमेंट, एक सप्ताह का ग्रामीण क्षेत्र इमर्शन प्रोग्राम और दो सप्ताह का भारत दर्शन अध्ययन दौरा (कर्नाटक और केरल) भी किया।

इसके अतिरिक्त अधिकारियों ने अकाउंटेंट जनरल (ए एंड ई), पंजाब एवं यू.टी. कार्यालय के विशेषज्ञों से लेखा में विशेष प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण हाई कोर्ट के माननीय न्यायाधीशों के साथ संवाद था, जो न्यायिक कार्यवाहियों और निर्णय प्रक्रिया से संबंधित उत्कृष्ट अनुभव प्रदान करता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में निर्धारित गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियां भी शामिल थीं, जिससे एक संतुलित और समृद्ध इंडक्शन अनुभव सुनिश्चित हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश और चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी के गवर्नर्स बोर्ड के अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति श्री संजीव प्रकाश शर्मा के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री राजेश बिंदल के न्याय प्रशासन में अनुकरणीय योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने सतलुज-यमुना जल विवाद को सुलझाने में न्यायमूर्ति बिंदल की महत्वपूर्ण भूमिका और संरक्षण कानूनों पर व्यापक दिशा-निर्देश तैयार करने में उनके प्रयासों का उल्लेख किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्होंने न्यायिक प्रशासन में विशेषकर ज़िला एवं स्थानीय स्तर की चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीक को व्यापक रूप से एकीकृत किया।

‘अदिति उर्फ मिठी बनाम जितेश शर्मा’ और ‘चाइल्ड इन कन्फ्लिक्ट विद लॉ थ्रू हिज़ मदर बनाम कर्नाटक राज्य’ मामलों में उनके ऐतिहासिक फैसलों ने पारिवारिक भलाई और किशोर न्याय से संबंधित विधिक प्रणाली को एक नया दृष्टिकोण दिया है। चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी से उनके लम्बे जुड़ाव, पहले एक समर्पित सदस्य के रूप में और बाद में गवर्नर्स बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में, को भी विशेष रूप से सराहा गया।

जस्टिस शर्मा ने कानून और न्याय तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल को उनके जनसेवा के उत्कृष्ट रिकॉर्ड के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की। बीकानेर के एक गांव से विनम्र शुरुआत करते हुए श्री मेघवाल प्रशासनिक पदों को संभालते हुए एक आईएएस अधिकारी बने और चार बार सांसद चुने गए। विभिन्न मंत्रालयों – वित्त, कॉरपोरेट कार्य, भारी उद्योग और कानून एवं न्याय – में उनकी सेवा जनकल्याण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में सम्मानित श्री मेघवाल सार्वजनिक जीवन में एक प्रेरणादायक और सम्माननीय व्यक्तित्व हैं।

अकादमी के प्रमुख संरक्षक के रूप में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए माननीय न्यायमूर्ति श्री शील नागू की भी प्रशंसा की गई। उनकी नियमित भागीदारी, फीडबैक और दूरदर्शी नेतृत्व ने पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण सुधार और बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में योगदान दिया।

अकादमी के अब तक के सबसे बड़े बैच – 150 प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों, जिनमें 107 महिलाएं शामिल थीं – का विशेष रूप से उल्लेख किया गया। इनमें से 137 अधिकारियों ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण किया है। यह भी घोषणा की गई कि अकादमी जल्द ही अधिकारियों, फैकल्टी और स्टाफ के कल्याण के लिए एक क्रेच और परिसर में एक डिस्पेंसरी का उद्घाटन करेगी।

समारोह का समापन सभी गणमान्य अतिथियों, न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्यों और मेहमानों की उपस्थिति और उनके उत्साह के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

इसके उपरांत पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति शील नागू ने संबोधन किया। अपने प्रेरणादायक भाषण में उन्होंने प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों को उनकी इंडक्शन ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर बधाई दी। उन्होंने बल दिया कि न्यायाधीश की भूमिका केवल एक पेशेवर कर्तव्य नहीं बल्कि समाज के प्रति एक नैतिक प्रतिबद्धता है, जो ईमानदारी, निष्पक्षता और समर्पण की मांग करती है।

उन्होंने युवा अधिकारियों को स्मरण कराया कि प्रशिक्षण ने उन्हें संसाधन और विधिक ज्ञान प्रदान किया है, परंतु न्यायिक सेवा का सार निरंतर सीखना, सहानुभूति रखना और हर मामले के मानवीय पहलू को समझने में है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे हर केस फाइल को गंभीरता से लें और टिप्पणी की – “हर फाइल एक मुकदमे की ज़िंदगी होती है, जो उम्मीद और न्याय की चाह से भरी होती है।” न्यायिक अधिकारियों को यह याद रखने की सलाह दी गई कि हर मामले के पीछे एक व्यक्ति की कहानी होती है और अदालत का कक्ष हमेशा सम्मान, निष्पक्षता और सहानुभूति का स्थान होना चाहिए।

इस अवसर पर फैकल्टी और विषय विशेषज्ञों का भी धन्यवाद किया गया, जिन्होंने अकादमी में अपनी सेवाओं के दौरान नए अधिकारियों को मार्गदर्शन दिया और कानून के राज को बरकरार रखेंगे और यह यकीनी बनायेंगे कि इंसाफ सिर्फ एक संकल्प नहीं बल्कि हर नागरिक के लिए एक हकीकत है।

माननीय केंद्रीय कानून और न्याय  मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने संबोधन में बुद्धि ज्ञान के साथ साथ कीमती सुझ भी प्रस्तुत की। उन्होंने असल जीवन और नाटक किस्सों की एक लड़ी से हज़रीन को मोहित कर किया जिस में इंसाफ,अखंडता, बुद्धि प्रशासनिकता विवेक और सांस्कृतिक संवेदना संबंधी गहरा सबक थे। उन्होंने विशेष तौर पर सुनाया गया किस्सा एक जापानी नागरिक, एक ग्रामोफोन और राष्ट्रीय गीत ईद गर्द घूमता है।उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने भारत की समृद्ध कानूनी परंपरा और इस विरासत को आगे बढ़ाने में न्यायपालिका की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि “न्यायिक सेवा एक अवसर है – न केवल न्याय करने का, बल्कि समाज में नैतिकता और विश्वास बनाए रखने का भी।”

श्री मेघवाल ने न्याय प्रणाली में प्रौद्योगिकी के समावेश की सराहना की, जिसमें ई-कोर्ट्स और डिजिटल फाइलिंग जैसे प्रयास शामिल हैं, जो पारदर्शिता, दक्षता और नागरिकों के लिए न्याय तक सुलभता को बढ़ाते हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहा कि वे इस परिवर्तन का हिस्सा बनें और डिजिटल युग की चुनौतियों का न्यायिक मूल्यों के साथ संतुलन बनाते हुए सामना करें।

समारोह के मुख्य अतिथि, भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माननीय श्री न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने समारोह को संबोधित किया। अपने प्रेरणादायक भाषण में उन्होंने अधिकारियों को न्यायिक आचरण की सर्वोच्चता, निष्पक्षता और समय पर निर्णय की अहमियत को आत्मसात करने का संदेश दिया। उन्होंने न्यायपालिका की अखंडता बनाए रखने, आचार संहिता का पालन करने और नागरिकों के प्रति न्यायिक जिम्मेदारी निभाने पर बल दिया।

न्यायमूर्ति बिंदल ने अधिकारियों को न्याय वितरण में संवेदनशीलता बनाए रखने, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और हाशिए पर खड़े वर्गों के मामलों में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, “एक न्यायाधीश न केवल कानून का संरक्षक होता है, बल्कि समाज में विश्वास और समानता का प्रतीक भी होता है।”

इस अवसर पर चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी की महानिदेशक श्रीमती रजनी शांडिल्य ने अकादमी की वर्षभर की गतिविधियों की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं, शैक्षणिक सत्रों, क्षेत्रीय दौरों, प्रैक्टिकल प्रशिक्षण, तकनीकी कार्यशालाओं और कानूनी शोध कार्यों की जानकारी साझा की। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों के समर्पण और सीखने के प्रति उत्साह की सराहना की।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद प्रस्ताव अकादमीभी प्रस्तुत किया। उन्होंने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, अकादमी के संरक्षक, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, फैकल्टी सदस्यों और अन्य गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद किया। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

समापन समारोह एक प्रेरणादायी और गरिमामय आयोजन रहा, जिसने नए न्यायिक अधिकारियों को एक नई ऊर्जा, उत्साह और कर्तव्यबोध के साथ अपनी न्यायिक सेवा शुरू करने का संदेश दिया।

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